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गुरुवार, 6 सितंबर 2012

क्या आप जानते है की इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन के द्वारा वोटो में हेर फेर किया जा सकता है




जी हा भाई लोग, इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन के द्वारा वोटो में हेर फेर किया जा सकता है/ इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन में उपयोग की जाने वाली चिप को बनाते समये उसमे ऐसा प्रोग्राम डाला जा सकता है जिससे हर तीसरा या चौथा वोट किसी खास उम्मीदवार को जा सकता है/जैसे कंप्यूटर में वैरस होता है ठीक उसी तरह इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन में" ट्रोज़न "डाला जा सकता है और इसे वोटिंग से लेकर काउंटिंग तक किसी भी समये एक्टिवेट किया जा सकता है/ वोटिंग के दौरान आप चहे किसी को वोट दे लेकिन अगर ट्रोज़न को एक्टिव कर दिया जाये तो इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन वही दिखाएगी जो ट्रोज़न के प्रोग्राम में डाला गया होगा /
एक बात और है इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन से जुडी हवी कोई भी mahtwapurn जानकारी चुनाव आयोग के पास नहीं होता है,बल्कि सारा खेल इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन की चिप बनाने वाली बिदेशी कंपनी के हाथ में होता है जो बहुत साडी जानकारियों को छुपा सकती है /
भाई लोग हमारे देश में इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन को बिदेशी लोग ही उन कोडिंग करते है और इस दौरान वो जो चहे कर सकते है/
अमरीका और जापान की कंपनिया हमारी इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन के चिप को बनाती है जो चिप बनाने के बाद उसमे भरे विवरण को मास्क कर देती है ,यानि आब उसके बारे में कोई नहीं जान सकता है यहाँ तक की चुनाव आयोग भी उस चिप में भरे डाटा को नहीं जान सकता है/
पिछले कुछ दिनों की बात है CIA का एक एजेंट अमरीकी कांग्रेस में ये खुलासा किया था की CIA ने ट्रोजन के द्वारा २५ देशो के चुनाव में हेर फेर किया है/
दुनिया के कई देशो में इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल होता है लेकिन उम में " पेपर ट्रेल " की एक सुवेधा होती है/
जिस इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन में पेपर ट्रेल की सुवेधा होती है उस में जब आप vote देने के लिए बटन दबायेंगे तो एक कागज़ की पर्ची बहार निकलती है ठीक बैंक के ए टी ऍम मसीन की तरह उसमे सारा विवरण होता है की आप ने किस को वोट दिया ,आप का सीरयल नॉ क्या है ,उस पर्ची को इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन के पास रखे एक लोहे के सिल बॉक्स में डालना होता है/
अब काउंटिंग के समय इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन का और लोहे के बॉक्स में डाले गए पेपर के डाटा को मिलाया जाता है, यानि इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन में किस को कितना वोट मिला और फिर लोहे के बॉक्स में डाले गए पेपर को देखा जाता है की उसमे किस को कितना वोट मिला अगर दोनों एक सामान है तो सब ठीक है अगर दोनों फे अंतर है तो गड़बड़ है/
इस तरह की सुविधा लगा के चुनावायोग चाहे तो पूरी तरह तो नहीं लेकिन किसी भी गडबडी को बहुत हद तक रोक सकता है/
ये सारी बातें बताई है IIT खरगपुर के इंजीनियर उमेश सैगल ने/
उन को चुनाव आयोग ने दिल्ली भी बुलाया था और कहा था की आप साबित करो की इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन में गड़बड़ की जा सकती है लेकिन एक शर्त है की आप इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन से छेड़ छाड़ नहीं करेंगे और अगर आप कामयाब हो गए तो इस बात को बहार नहीं लिक करेंगे/ इस के जवाब में सैगल जी ने तिन लेपटोप मँगाए दो में वैरस डाल दिया और एक को ठीक ही रहने दिया और कहा की बिना छेड़ छाड़ किये हुवे क्या छुनव आयोग के इंजीनियर बता सकते है की कौन से लेपटोप में वैरस है और कौन से में नहीं है/
उमेश सैगल साहब ने कहा की अगर कोई CBI जाच हो तो उसमे वह सब बता सकते है/
और बहुत कुछ साबित कर सकते है/

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